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Friday, December 29, 2017

ज्ञानज्योती सावित्रीबाई फुले जयंती

सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले


 (3 जनवरी 1831 – 10 मार्च 1897) भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिसे कार्य किए। सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य की अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।

परिचयसंपादित करें

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था।
सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था।
'सामाजिक मुश्किलें
वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा देश में एक अकेला बालिका विद्यालय।
महानायिका
सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

विद्यालय की स्थापनासंपादित करें

1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में।

निधनसंपादित करें

10 मार्च 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। प्लेग महामारी में सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं। एक प्लेग के छूत से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण इनको भी छूत लग गया। और इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई।

Krantijyoti Savitribai Phule[1] is an Indianhistorical drama television series Directed by Rupesh D Gohil and Produced by RDG Productions Pvt.Ltd. The drama, aired on Doordarshan National, is based on the life of Krantijyoti Savitribai Phule.
Krantijyoti Savitribai Phule
Krantijyoti Savitribai Phule.jpg
GenreHistoric Period Drama
Written byShivendra Kumar
Directed byRupesh D Gohil
Creative director(s)Yusuf Surti
StarringChinmay Udgirkar I Ketaki Kulkarni I Prafulla Kamble I Nandkumar Patil I Advika Divakar I Mustafa azad I Prerna Bhatt I Sandhya Kute I Punam Chandolkar I Aditi Patil I Dr.Rajesh Aher I
Country of originIndia
Original language(s)Hindi
No. of episodes107
Production
Producer(s)Rupesh D Gohil
Location(s)Mumbai
Production company(s)RDG Productions
Release
Original networkDD National
Original release11 August 2016
Chronology
Related showsThe Great Maratha I DD National
External links
Websitewww.rdgproduction.com
Savitribai Jyotirao Phule (3 January 1831 – 10 March 1897) was an Indian social reformer and poet. Along with her husband, Jyotirao Phule she played an important role in improving women's rights in India during British rule. The couple founded the first women's school at Bhide Wada in pune in 1848.. She also worked to abolish discrimination and unfair treatment of people based on caste and gender. She is regarded as an important figure of the Social Reform Movement in Maharashtra and is regarded as "Rashtramata" (The Mother of The Nation). But unfortunately majority of many Indians especially young generation is not aware of Krantijyoti Savitribai Phule and Mahatma Jyotiba Phule. The story starts with a terrifying incident of a girl burnt alive in a village in Maharashtra and while covering this news ace reporter Kavya Banerjee meets social reformer Bhaskar manjule for his review and opinion regarding the incident. Bhaskar while giving his interview gives example of Savitribai Phule and to his shock Kavya questions him about Savitribai Phule as she is completely unaware of this iconic lady. Bhaskar scolds Kavya and tells her that its very shameful being a female journalist she doesn’t know about this great lady. Kavya feels guilty and she decides to find out more information on Savitribai Phule. Kavya on suggestion of Bhaskar manjule leaves for kudaal village near satara to meet retired professor Namdev patil who is a true follower of Savitribai Phule…
Kavya meets Namdev in his village but he refuses to give information about Savitribai Phule but later on seeing her dedication and sincerity about her work he agrees to narrate the story of Krantijyoti Savitribai Phule’…

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